टीसीएस क्या है | TCS कब काटा जाता है | TCS के नियम (गणना)

आईटीआर दाखिल करने वाले लोग अक्सर TDS और TCS को लेकर कन्फ्यूज हो जाते है| कई लोग इन दोनों शब्दों के बीच के अंतर को नहीं समझ पाते है, और गलती कर बैठते है| टीडीएस और टीसीएस दोनों ही टैक्स वसूल करने के दो अलग तरीके है| जहां टीडीएस का मतलब टैक्स डिडक्शन ऐट सोर्स है, वही टीसीएस का अर्थ टैक्स कलेक्शन ऐट सोर्स है| दोनों ही तरीकों में टैक्स भुगतान का तरीका अलग है| यदि कोई व्यक्ति पहली बार टैक्स भर रहा है, तो उसके लिए इस अंतर को समझना थोड़ा मुश्किल है| लेकिन दोनों ही मामलो में रिटर्न दाखिल करना होता है| सरकार ने गुड्स सेल्स पर TCS (Tax Collected at Source) के प्रावधान का विस्तार करने के लिए वित्त अधिनियम 2020 की धारा 206C(1H) के जरिए एक नए खंड को पेश किया है|

जिसमे सरकार द्वारा निर्धारित वित्तीय वर्ष की गई कुछ वस्तुओ की खरीद पर कारोबार करने वाले विक्रेता को कर एकत्रित करना होता है| अगर आप टीसीएस के बारे में विस्तृत जानकारी चाहते है, तो यहाँ पर आपको टीसीएस क्या है, TCS कब काटा जाता है तथा TCS के नियम (गणना) के बारे में बता रहे है|

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टीसीएस क्या है (TCS)

टीसीएस का मतलब टैक्स कलेक्टेड ऐट सोर्स है| जिसका मतलब सोर्स पर एकत्रित कर| यह कर कुछ विशेष वस्तुओं के लेन-देन पर लगाया जाता है| जिसमे मिनरल्स, तेंदू पत्ता, इमारती लकड़ी, स्क्रैप और शराब जैसी चीज़े शामिल है| टीसीएस में वस्तु को खरीदते समय उसकी कीमत पर टैक्स का पैसा जोड़कर सरकार के पास जमा कर दिया जाता है| सामान बेचने वाले व्यक्ति के ऊपर खरीददार से टीसीएस वसूलकर सरकार के पास जमा करने की जिम्मेदारी होती है|

यानि टीसीएस का बोझ सेलर को उठाना होता है| चूंकि यह टैक्स कीमत मिलने के स्त्रोत से वसूला जाता है, जिस वजह से इसे टीसीएस (स्रोत पर एकत्रित कर) कहते है| आयकर एक्ट की धारा 206C (1) के अनुसार सिर्फ व्यवसायिक उद्देश्य से कुछ ही वस्तुओं की बिक्री पर TCS काटा जाता है| व्यक्तिगत उपभोग के सौदे पर यह कर नहीं लगता है|

टीसीएस का उदाहरण (TCS Example)

अगर आप टीसीएस को समझना चाहते है, तो उसे ऐसे समझ सकते है| मान लीजिए किसी व्यक्ति द्वारा कंपनी को एक लाख रूपए का स्क्रैप बेचा गया| स्क्रैप पर 1% TCS का नियम है| इस तरह से एक लाख रूपए पर 1 फीसदी TCS शुल्क एक हज़ार रूपए होगा| TCS शुल्क के साथ कंपनी एक लाख एक हज़ार रूपए का भुगतान करेगी| अब इस 1000 रूपए के TCS को आयकर विभाग में जमा करना होगा| अलग-अलग शुल्क पर टीसीएस का प्रतिशत भी अलग-अलग है| मसलन शराब व अल्कोहल पर 2.5% और तेंदू पत्ते पर सबसे अधिक 5% है|

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TCS के नियम (गणना) (TCS Rules (Calculations))

सरकार ने टीसीएस को 1 अक्टूबर 2020 से लागू किया है, जिसका उद्देश्य विक्रेता को माल के खरीददार से नियमो के अनुसार कर प्राप्त करना है, टीसीएस के नियम इस प्रकार है:-

  • यह नियम सिर्फ वार्षिक 10 करोड़ रूपए से अधिक राशि का व्यवसाय करने वाले विक्रेताओं पर लागू है|
  • माल शब्द में धारा 206C (1) के तहत वनोपज, कबाड़, शराब और तेंदू पत्ते की बिक्री पर निर्यात शामिल नहीं है|
  • धारा 206C (1G) और विदेशी प्रेषण पर टीसीएस की धारा 206 C (1F) के तहत मोटर वाहन की बिक्री पर TCS लागू है|
  • यदि वस्तु खरीदने वाला टीडीएस काट रहा है, तो विक्रेता को उस सामान पर टीसीएस काटने की जरूरत नहीं है|
  • यदि वस्तु खरीदने वाला व्यक्ति एक राज्य/केंद्र सरकार, दूतावास, वाणिज्य दूतावास, स्थानीय प्राधिकरण, विदेशी राज्य व्यापार का प्रतिनिधित्व या उच्चायोग है, तो टीसीएस नहीं काटा जाएगा|
  • भारत में अभी माल के आयात पर TCS का नियम लागू नहीं है|

TCS कब काटा जाता है (TCS Deducted)

चूंकि विक्रेता TCS को एकत्रित कर उसका भुगतान करने के लिए उत्तरदायी होता है, इसलिए उसे प्रत्येक अगले माह की 7 तारीख को TCS का भुगतान करना होता है| उदाहरण:- किसी व्यक्ति द्वारा 9 नवंबर 2022 को किए गए लेनदेन के TCS का भुगतान 7 दिसंबर 2022 तक करना होता है|

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टीसीएस का प्रभाव ई-चालान पर (TCS Effect on E-invoicing)

हमारे देश भारत में ई-चालान को चरणबद्ध तरीके से लागू किया जा रहा है, ताकि B2B कंपनियां किसी भी तरह से कर चोरी न कर पाए| प्रत्येक चालान के बारे में सरकार को सूचित करने के लिए उसे सरकारी पोर्टल पर डालना अनिवार्य है| जब टीसीएस को शुरू किया गया था, तब ई-चालान सिर्फ 50 करोड़ रूपए से ज्यादा का कारोबार करने वाले व्यवसाइयों पर लागू था| लेकिन 1 अप्रैल 2020 से इसे 20 करोड़ रूपए तक कारोबार करने वाले कारोबारी पर भी लागू कर दिया गया| ई-चालान मैंडेट के अनुसार TCS राशि अन्य शुल्कों में शामिल है| इसके अलावा GSTR-1 में रिपोर्ट की गई राशि में भी टीसीएस शामिल होगा| टीसीएस लेनदेन वस्तु क्रय के बजाय रसीद के आधार पर लागू है| इसमें विक्रेता को अग्रिम TCS चार्ज करना होता है, और बाद में उसे चालान में समायोजित करना होता है| चलाना जारी करने के टीसीएस को समय के बजाए रसीद के आधार पर एकत्रित किया जाना चाहिए|

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क्या टीसीएस की गणना में GST राशि को शामिल किया जाता है?

टीसीएस की गणना करने के दौरान GST राशि को नहीं शामिल किया जाना चाहिए, क्योकि TCS की गणना प्रतिफल की प्राप्ति पर होती है, बिक्री पर नहीं|

क्या टीसीएस SEZ इकाइयों पर भी लागू होता है?

SEZ इकाइयों द्वारा की गई बिक्री को भले ही निर्यात माना जाता हो, लेकिन अगर खरीददार से प्राप्त राशि 50 लाख रूपए से अधिक रहती है, तो TCS एकत्र करना अनिवार्य है|

क्या सेवाओं को भी TCS एक्ट के अंतर्गत शामिल किया गया है?

टीसीएस अधिनियम को सिर्फ वस्तु की बिक्री पर लागू किया गया है, सेवाओं पर नहीं|

खरीददार के पास आधार या पैन कार्ड न होने पर टीसीएस कितना काटा जाएगा?

यदि खरीददार के पास आधार या पैन कार्ड नहीं है, तो ऐसे में खरीददार से टीसीएस 1 फीसदी की दर से काटा जाएगा|