इनकम टैक्स कैसे बचाएं | टैक्स बचाने के लिए क्या करना चाहिए | प्रकार | नियम | Section 80c Explained in Hindi

देश के नागरिकों को इनकम टैक्स अर्थात आयकर देना एक मूल कर्तव्य है। जिसे क़ानूनी प्रक्रिया के अंतर्गत भारत के इनकम टैक्स विभाग द्वारा वसूला जाता है। भारत सरकार द्वारा इसके लिए कई नियम बनाये गये है | अक्सर देखनें को मिलता है, कि ज्यादातर लोग इनकम टैक्स को लेकर काफी परेशान रहते है और इससे बचनें के उपायों बारें में सोंचा करते है | आपकी जानकारी के लिए बता दें, कि भारत में प्रत्यक्ष कर (Direct Tax) और अप्रत्यक्ष कर (Indirect Tax) 2 प्रकार से टैक्स चुकाना होता है |

इसमें से अप्रत्यक्ष कर से बचनें का कोई तरीका नही है परन्तु इसे कम अवश्य किया जा सकता है | हालांकि इसके लिए आपको स्मार्ट तरीके से प्लानिंग कर सिंपल तरीके अपनाने होंगे | इनकम टैक्स कैसे बचाएं ? इसकी जानकारी देने के साथ ही आपको यहाँ टैक्स बचाने के लिए क्या करना चाहिए, प्रकार, नियम और Section 80c Explained in Hindi के बारें में बताया जा रहा है |

सुकन्या समृद्धि योजना

इनकम टैक्स के नियम (Income Tax Rules)

इनकम टैक्स नियमों के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति की वार्षिक इनकम 2.5 लाख रुपये तक है, तो उन्हें किसी प्रकार का कोई टैक्स नहीं देना होगा | यदि आपकी इनकम 2.5 लाख रुपये से लेकर 5 लाख रुपये तक है, तो आपको अपनी आय का 5% टैक्स देना होगा | जबकि 5 लाख रुपये से लेकर 10 लाख रुपये की वार्षिक इनकम पर 20% टैक्स वसूला जाता है | इसी प्रकार 10 लाख और उससे अधिक की वार्षिक इनकम पर आपको 30% टैक्सदेने का नियम है |

इनकम टैक्स स्लैब दर (Income Tax Slab Rate)

आयकर स्लैबआयकर दर
2 .5 लाख से कम आय।कोई टैक्स नहीं
2.5  से 5 लाख तक5 % टैक्स
5 लाख से अधिक 10 लाख तक20% टैक्स
10 लाख से अधिक की आय पर30% टैक्स
  • कुल देय कर के 4% पर एक अतिरिक्त स्वास्थ्य और शिक्षा उपकर लगाया जाता है। सालाना 50 लाख रुपये से अधिक कमाने वाले लोगों को कुल आय का 10% सरचार्ज भी देना होगा। आय ₹1 करोड़ से अधिक होने पर ऐसा उपकर 15% तक बढ़ जाता है।
  • भले ही ऐसी दरें भारी लग सकती हैं, केंद्र सरकार आपके वार्षिक वित्तीय बोझ को कम करने के लिए, 1961 के आयकर अधिनियम के तहत विभिन्न प्रावधानों को बनाए रखती है।

इनकम टैक्स कैसे बचाएं (How to Save Income Tax)

भारत में अपनी आय का एक बड़ा हिस्सा बचाने के लिएआपको उपलब्ध टैक्स सेविंग फाइनेंसियल प्रोडक्ट्स पर पूरा ध्यान देना होगा।यदि आपको लगता है, कि आप अपनी आय का एक बड़ा हिस्सा टैक्स के रूप में दे रहे हैं, तो यह बहुत संभव है कि आपने अपने टैक्स सेविंग की योजना अच्छी तरह से नहीं बनाई है। ऐसे कई कानूनी तरीके हैं, जिनका उपयोग करके आप करों पर पैसे बचा सकते हैं। भारत का आयकर अधिनियम नागरिकों को कटौती के माध्यम से आप अपना टैक्स बचा सकते है। आप धारा 80C, 80CCC और 80CCD के माध्यम से टैक्स रिटर्न दाखिल करते समय कटौती का क्लेम कर सकते हैं।

धारा 80सी क्या है (Section 80c Explained in hindi)

आयकर अधिनियम की धारा 80 सी 1 अप्रैल 2006 को लागू हुई। यह मूल रूप से कुछ व्यय और निवेश को कर से मुक्त करने की अनुमति प्रदान करता है। यदि आप अपने निवेशों की अच्छी तरह से योजना बनाते हैं और उन्हें पीपीएफ, एनएससी, आदि जैसे विभिन्न निवेशों में समझदारी से इन्वेस्ट करते हैं, तो आप 1.5 लाख रुपये तक की टैक्स सेविंग कर सकते हैं |

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में समाप्त हुए केंद्रीय बजट 2022 के दौरान धारा 80C के संबंध में मौजूदा नियमों में कोई बदलाव नहीं किया। इसलिए यदि आप पुरानी कर व्यवस्था का पालन कर रहे हैं, तो आप 1.5 लाख रुपये तक की कटौती का लाभ प्राप्त कर सकते है। यदि आपने नई कर व्यवस्था का विकल्प चुना है, तो कटौती नियम लागू नहीं होते हैं।

धारा 80C, धारा 80CCC और धारा 80CCD के तहत कटौती

भारत के नागरिक इन 3 सेक्शन के अपना टैक्स बचा सकते हैं। यदि आपने सेक्शन 80सी, सेक्शन 80सीसीसी और सेक्शन 80सीसीडी में बताए गए इंस्ट्रूमेंट में अपना पैसा लगाया है, तो आप कुछ कटौतियों का दावा कर सकते हैं। पीपीएफ खाते, पेंशन योजनाएं, जीवन बीमा पॉलिसी, एनएससी (राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र, 5 साल की कर बचत सावधि जमा, आदि) कुछ लोकप्रिय योजनायें हैं, जिनमें निवेश कर आप बड़ी आसानी से अपना टैक्स बचा सकते हैं। जो लोग राष्ट्रीय पेंशन योजना में निवेश करते हैं, वह धारा 80सीसीडी के तहत 50,000 रुपये की अतिरिक्त कटौती के लिए क्लेम कर सकते हैं।

टैक्स बचाने के लिए क्या करना चाहिए (What You Should Do to Save Tax)

कानूनी रूप से इनकम टैक्स बचानें के लिए कई आप्शन मौजूद है, जिसमें पैसा निवेश कर आप अपने टैक्स बचत कर सकते है| यहाँ आप्शन इस प्रकार है-

धारा 80सी के तहत अपनी 1.5 लाख रुपये की कर बचत

  • टैक्स-सेवर एफडी -आप 5 साल की टैक्स-सेवर एफडी के तहत 1.5 लाख रुपये तक की टैक्स कटौती प्राप्त कर सकते हैं। वर्तमान में 7-8% के बीच ब्याज की एक निश्चित दर है। हालाँकि इन FD पर मिलने वाले ब्याज पर टैक्स लगता है |
  • पीपीएफ (Public Provident Fund) – पब्लिक प्रोविडेंट फंड एक सरकार द्वारा स्थापित एक बचत योजना है|यह योजना भारत के अधिकांश बैंकों और डाकघरों में उपलब्ध है। इसकी ब्याज दर प्रति तिमाही बदलती रहती है, लेकिन वर्तमान में यह 8% है। पीपीएफ पर मिलने वाला ब्याज टैक्स फ्री होता है।
  • ईएलएसएस फंड -यह म्यूचुअल फंड हैं, जो अपनी संपत्ति का कम से कम 80% इक्विटी में निवेश करते हैं। इनका लॉक-इन पीरियड 3 साल का होता है। ईएलएसएस फंड पर रिटर्न 10% पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स (LTCG) के अधीन है, जो 1 लाख रुपये की छूट सीमा से अधिक है।
  • एनएससी (National Savings Certificate) -एक नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट की अवधि 5 वर्ष और ब्याज की एक निश्चित दर होती है, वर्तमान में यह दर 8% है। एनएससी पर ब्याज भी स्वचालित रूप से 1.5 लाख 80 सी की सीमा में गिना जाता है |
  • जीवन बीमा प्रीमियम – यूलिप, टर्म इंश्योरेंस और एंडोमेंट पॉलिसियों सहित विभिन्न प्रकार की बीमा पॉलिसियों के प्रीमियम पर 1.5 लाख रुपये तक की कर कटौती की जा सकती है। हालांकि बीमा कवर वार्षिक प्रीमियम का कम से कम 10 गुना होना चाहिए।
  • राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) – यह कटौती धारा 80सीसीडी के तहत एनपीएस में योगदान के लिए 1.5 लाख रुपये तक उपलब्ध है। यह धारा 80CCD (1B) के तहत उपलब्ध 50,000 रुपये की कटौती से अधिक है।
  • गृह ऋण – अधिकांश लोगों को होम लोन लेकर टैक्स बचाने की सलाह दी जाती है, क्योंकि कटौती का दावा 3 वर्गों के अंतर्गत किया जा सकता है | जिसके परिणामस्वरूप बड़ी बचत हो सकती है। यदि आप होम लोन लेते हैं, तो उन्हें आयकर अधिनियम की धारा 80 सी के तहत मूल ऋण राशि के पुनर्भुगतान पर कटौती का दावा कर सकते है। धारा 24 लोगों को अपने होम लोन पर चुकाए गए ब्याज पर कटौती का दावा करने की अनुमति प्रदान करती है। कुछ मामलों में अधिकतम 2,00,000 रुपये की कटौती की जा सकती है | जबकि ऐसे मामले हैं, जिनमें कटौती की कोई अधिकतम सीमा नहीं है, जिसका दावा होम लोन ब्याज का भुगतान करने पर खर्च की गई राशि पर किया जा सकता है।
  • शिक्षा ऋण – लोग अपने या अपने बच्चों या जीवनसाथी आदि के लिए हायर एजुकेशन के लिए शिक्षा ऋण का विकल्प चुनकर टैक्स सेविंग कर सकते हैं। आयकर अधिनियम की धारा 80 ई लोगों को ऋण ब्याज का भुगतान करने के लिए खर्च की गई राशि पर कटौती का दावा करने की अनुमति प्रदान करती है। धारा 80ई के अंतर्गत सिर्फ व्यक्तिगत करदाता कटौती का क्लेम कर सकते है।
  • ईपीएफ – ईपीएफ अधिनियम के तहत संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों के वेतन का 12% कर्मचारी भविष्य निधि में काटा जाता है। यह कटौती धारा 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये की सीमा में गिना जाता है।
  • वरिष्ठ नागरिक बचत योजना -एससीएसएस में योगदान 1.5 लाख रुपये तक कर कटौती योग्य है। SCSS की अवधि 5 वर्ष है और यह 60 से ऊपर के लोगों के लिए उपलब्ध है। SCSS की दर मौजूदा FD दरों से अधिक है और वर्तमान में यह दर 8.7% है |
  • सुकन्या समृद्धि योजना – 10 वर्ष से कम उम्र की बच्ची के माता-पिता को यह छूट मिल सकती है। इस खाते की अवधि 21 वर्ष या 18 वर्ष की आयु के बाद लड़की की शादी होने तक है। इसमें मौजूदा दरों (वर्तमान में 8.5%) से अधिक ब्याज है और ब्याज कर-मुक्त है।

डाकघर बचत योजना

राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली में योगदान करें (National Pension System Contribute)

धारा 80CCD(1B) के अंतर्गत 50,000 रुपये तक की यह कटौती सिर्फ NPS में योगदान के लिए उपलब्ध है। एनपीएस आपको इक्विटी और डेट पेंशन फंड में निवेश कर रिटायरमेंट फण्ड प्राप्त कर सकते है | आप इसे 60 साल की उम्र में कभी भी निकाल सकते हैं।

स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम का भुगतान करें (Health Insurance Premiums Pay)

धारा 80डी के तहत स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम के लिए 25,000 रुपये तक की कटौती उपलब्ध है । वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह सीमा बढ़ाकर 50,000 रुपये कर दी गई है। अपने और वरिष्ठ नागरिक माता-पिता के लिए स्वास्थ्य बीमा का योगदान करने वाला व्यक्ति प्रति वर्ष 75,000 रुपये तक की संयुक्त कटौती का लाभ प्राप्त कर सकते है।

किराए पर कटौती (Rent Deduction)

यदि आपको हाउस रेंट अलाउंस अर्थात एचआरए मिलता है, तो आप अपने HRA पर टैक्स कटौती का दावा कर सकते हैं। इसके लिए कोई ऊपरी सीमा नहीं है, लेकिन नियमों का एक सेट है, जो अधिकतम एचआरए कटौती को सीमित करता है । यदि आपको एचआरए नहीं मिलता है, लेकिन किराए का भुगतान करते हैं, तो आप धारा 80 जीजी के तहत 60,000 रुपये प्रति वर्ष तक की कटौती के लिए क्लेम कर सकते हैं।

होम लोन के ब्याज पर कटौती (Home Loan Interest Deduction)

यदि आपने होम लोन लिया है, तो उस पर देय ब्याज आयकर अधिनियम की धारा 24 के तहत 2 लाख रुपये प्रति वर्ष तक कर कटौती योग्य है । यदि आप मकान किराए पर देते हैं तो इसकी कोई ऊपरी सीमा नहीं है। हालांकि हाउस प्रॉपर्टी से होने वाली आय के व्यापक मद पर कर कटौती के लिए क्लेम किया जा सकता है।

कुछ पैसे अपने बचत खाते में रखें (Keep Some Money in Your Savings Account)

आयकर अधिनियम के तहत यह संभवत: सबसे आसान कटौती है, जिसका क्लेम किया जा सकता हैं। धारा 80TTA के तहत बचत खातों पर ब्याज प्रति वर्ष 10,000 रुपये तक कर मुक्त है। धारा 80TTB के तहत एफडी और बचत खाते के ब्याज दोनों के लिए वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह सीमा 50,000 रुपये है।

दान में योगदान करके (Charity Contribution)

सामाजिक या धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए धन दान करके या राष्ट्रीय राहत कोष में योगदान करके, भारत के नागरिक दान की गई राशि पर कटौती का क्लेम कर टैक्स पर पैसे बचा सकते हैं। आप  आयकर अधिनियम की धारा 80G के तहत ऐसी कटौती का दावा कर सकते हैं । जिस संगठन को आप दान दे रहे हैं, वह वित्त मंत्रालय द्वारा सूचीबद्ध है, तो आप इस कटौती का लाभ प्राप्त कर सकते है अन्यथा नहीं |

हालाँकि आप वस्तु के रूप में किए गए दान के लिए कटौती का दावा नहीं कर सकते हैं। करदाता नकद का उपयोग करके किए गए दान के लिए 10,000 रुपये तक की कटौती का दावा कर सकते हैं और 10,000 रुपये से अधिक की किसी भी राशि के दावे के लिए उन्हें चेक का उपयोग करके दान करना होगा।

छुट्टी यात्रा भत्ता- एलटीए (Leave Travel Allowance – LTA)

यदि करदाताओं को उनकी कम्पनी या नियोक्ताओं से एलटीए मिलता है, तो वह कर मुक्त एलटीए के हकदार होंगे। आप 4 वर्ष की अवधि में 2 बार इसका दावा कर सकते हैं। इसका दावा करने के लिएउन्हें अपनी छुट्टी की अवधि के दौरान भारत के अन्दर कहीं भी यात्रा करनी होगी।

यह कुछ लोकप्रिय तरीके हैं, जिनका उपयोग करके लोग अपने करों पर पैसे बचा सकते हैं। यदि करदाता अपनी आय, निवेश, व्यय और कर की अच्छी तरह से योजना बनाते हैं, तो वह  बहुत सारा पैसा बचा सकते हैं। टैक्स बचाने के लिए अवैध तरीकों का इस्तेमाल न करने की सलाह दी जाती है। उदाहरण के लिए – यदि लोग टैक्स का भुगतान न करके पैसे बचाने की कोशिश करते हैं, तो उनके द्वारा बचाई गई राशि को बेहिसाब धन या काला धन माना जाएगा, जिसे पकड़े जाने पर बहुत सारी समस्याएं हो सकती हैं।

एफडी (FD) क्या होता है