पीपीपी मॉडल क्या होता है | पीपीपी मॉडल के फायदे | PPP Full Form in Hindi

हमारे देश में बहुत से ऐसे कार्य है, जो सार्वजनिक और निजी कंपनियों के परस्पर सहयोग से किए जा रहे है| सार्वजनिक और निजी कंपनियों का यह परस्पर सहयोग ही पीपीपी मॉडल कहलाता है| इस साझेदारी के तहत किसी भी कार्य को करने में सरकार को ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती है| हमारे देश की केंद्र और राज्य सरकार पीपीपी मॉडल के तहत कई योजनाओं को पूरा कर रही है| वर्तमान समय में अधिकांश रेलवे से संबंधित प्रोजेक्ट भी पीपीपी मॉडल द्वारा संपन्न किए जा रहे है, जिसके तहत रेलवे मंत्रालय ने 151 ट्रेनों को चलाने के लिए पीपीपी मॉडल को स्वीकृति भी दे दी है|

इसके अलावा और भी कई ऐसे कार्य है, जिन्हे पीपीपी मॉडल के तहत सम्पूर्ण किया जा रहा है| अगर आपको PPP के बारे में जानकारी नहीं है, तो यहाँ पर आपको पीपीपी मॉडल क्या होता है (PPP Full Form in Hindi) और पीपीपी मॉडल के फायदे बता रहे है|

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पीपीपी का फुल फार्म (PPP Full Form in Hindi)

पीपीपी का हिंदी अनुवाद ‘सार्वजनिक निजी साझेदारी’ है| अंग्रेजी भाषा में इसे PPP (Public Private Partnership) के नाम से जाना जाता है| पीपीपी के तहत सरकारी और निजी कंपनियां मिलकर किसी प्रोजेक्ट को पूरा करती है| इसे एक तरह से सरकार और निजी क्षेत्र के बीच अनुबंध भी कह सकते है|

पीपीपी मॉडल क्या होता है (PPP Model)

पीपीपी मॉडल का सीधा तात्पर्य सार्वजनिक व निजी भागीदारी से है| इसमें यह दोनों ही क्षेत्र मिलकर किसी प्रोजेक्ट को पूरा कर लाभ अर्जित करते है| पीपीपी का पूरा नाम पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप है, जिसका हिंदी में अर्थ सार्वजनिक निजी साझेदारी है|

सरकार निजी कंपनी के साथ मिलकर किसी परियोजना को पूरा करने के लिए साझेदारी करती है, ताकि परियोजना में लगने वाले धन को सग्रहित किया जा सके| पीपीपी मॉडल में निजी और सार्वजनिक कंपनियां मिलकर अपने अनुभव को साझा करती है, जिससे प्रोजेक्ट में गुणवत्ता आती है| इस तरह से कार्य समय पर पूर्ण हो जाता है, और निजी व सरकारी दोनों ही क्षेत्रों को फायदा होता है|

पीपीपी मॉडल में हाइवे और रेलवे के अलावा शिक्षा के क्षेत्र को भी जोड़ा जा रहा है| पीपीपी मॉडल में सरकारी और निजी संस्थान अपने अनुभवों का उपयोग कर परियोजनाओं को सही समय और कम लागत में पूरा करती है, जिससे इसका संचालन भी बेहतर होता है|

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पीपीपी मॉडल के प्रकार (PPP Models Types)

पीपीपी मॉडल के प्रकार की बात करे, तो सरकार निजी क्षेत्रों में 5 तरह से भागीदारी कर सकती है, जो इस प्रकार है:-

  • निर्माण-स्वामित्व-संचालन-स्थानांतरण:- इस पीपीपी योजना के तहत सरकार निजी कंपनी को एक निश्चित समय के लिए वित्त निर्माण संचालन का अधिकार सौंपती है| जब यह समय सीमा समाप्त हो जाती है, तो समस्त अधिकार सरकार के पास वापस आ जाते है|
  • बिल्ड-ओन-ऑपरेट:- इसमें निजी कंपनी या साझेदार के पास समय सीमा के अंदर समस्त ढांचागत परियोजनाओं के डिज़ाइन, परिचालन और निर्माण की जिम्मेदारी होती है| इसके साथ ही कंपनी को परियोजना में निवेश किए गए धन को प्राप्त करने के लिए भी एक निश्चित समय दिया जाता है| यह अवधि समाप्त होने पर सम्पूर्ण नियंत्रण सरकार के पास चला जाता है|
  • निर्माण संचालन-पट्टा-हस्तांतरण:- इसमें निजी साझेदार निर्धारित अनुबंध अवधि तक सार्वजनिक संपत्ति का संचालन करता है, लेकिन संपत्ति का स्वामित्व सिर्फ सार्वजनिक कंपनी के पास ही रहता है|
  • डिजाइन बिल्ड फाइनेंस ऑपरेट ट्रांसफर:- इस साझेदारी के तहत निजी साझेदार को सरकारी कंपनी के दिशानिर्देशों पर कार्य करना होता है| निजी कंपनी को बुनियादी ढाँचे का निर्माण करने के साथ ही सभी जोखिमों की जिम्मेदारी लेनी पड़ती है|
  • लीज डेवलप ऑपरेट:- पीपीपी योजना के इस प्रकार में प्राइवेट या सरकारी कंपनी के पास सभी संसाधनों का मालिकाना हक होता है, तथा लीज के दौरान प्राइवेट प्रमोटर से पैसा मिलता है| इस मॉडल के तहत एयरपोर्ट शामिल है| 

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पीपीपी मॉडल का उद्देश्य (PPP Model Purpose)

पीपीपी मॉडल का मुख्य उद्देश्य परियोजनाओं के बेहतर संचालन के लिए निजी भागीदारी को बढ़ाना| इसमें निजी क्षेत्र वाली कंपनियों को सार्वजनिक कंपनियो द्वारा परियोजना में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया जाता है, ताकि सरकार को परियोजना को पूरा करने में लगने वाली पूँजी के बारे में मशक्कत न करना पड़े, साथ ही परियोजना के लिए सभी आवश्यक संसाधन भी आसानी से प्राप्त हो सके|

जब किसी परियोजना की घोषणा की जाती है, या उसे शुरू किया है, तो उसमे काफी खर्च आता है| राजस्व एवं संसाधन की कमी की वजह से सरकार को अन्य सहयोगियों की आवश्यकता होती है| जिस वजह से सरकार निजी कंपनियों को साझेदारी के लिए आमंत्रित करती है| इस तरह से सभी काम समय पर पूरे होते है, और गुणवत्ता भी बेहतर रहती है, तथा सरकार पर कोई वित्तीय दबाव भी नहीं पड़ता है| वर्तमान समय में सरकार द्वारा हाइवे, बांध, हवाई अड्डो और रेलवे परियोजनाओं के लिए पीपीपी मॉडल को अपनाया जा रहा है| इसके अलावा सरकार स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में भी पीपीपी मॉडल को अपनाने जा रही है|

पीपीपी मॉडल आवश्यक क्यों (PPP Model Necessary)

सरकार द्वारा जारी पीपीपी मॉडल का मुख्य उद्देश्य राजस्व के एक बड़े हिस्से को परियोजनाओं में न लगाकर उसके विकल्प को तलाशना है| ताकि राजस्व के बड़े भाग को अन्य योजनाओं में खर्च किया जा सके| इसके अलावा सरकार द्वारा की गई घोषणाओं को पूरा करने के लिए भी पीपीपी मॉडल अपनाया जाता है, ताकि समय पर कार्य हो सके| सरकार निजी क्षेत्र की विभिन्न कंपनियों के साथ मिलकर घोषणा की गई परियोजनाओं को पूरा करती है, जिसमे बांध, पुल और हाइवे निर्माण जैसे कार्य शामिल है|

पीपीपी मॉडल इसलिए भी आवश्यक है, क्योकि निजी क्षेत्र को अधिक अनुभवी, सेवा और गुणवत्तापूर्ण कार्य के लिए जाना जाता है| ऐसे में किसी भी परियोजना के बेहतर रूप से पूरा होने की संभावनाए बढ़ जाती है|

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पीपीपी मॉडल से फ़ायदे (PPP Model Benefits)

  • पीपीपी मॉडल सभी परियोजनाओं को समय से पूरा कर देता है|
  • किसी भी परियोजना के समय से पूर्ण होने से सरकार और निजी कंपनी को समय से आय मिलना शुरू हो जाती है, जिससे सरकार के लाभ में वृद्धि होती है|
  • पीपीपी द्वारा श्रम और पूँजी के संसाधनों को बढ़ाकर अर्थव्यवस्था में विकास किया जा सकता है|
  • इस तरह से किए गए कार्य की गुणवत्ता काफी अच्छी होती है, और कार्य का जीवनकाल भी ज्यादा होता है| इस प्रकार से किए गए कार्य से दुर्घटना में कमी आती है, तथा भविष्य में रिपेयर का खर्च भी बच जाता है|

पीपीपी मॉडल की हानियां (PPP Model Disadvantages)

भारत में पीपीपी मॉडल के असफल होने के पीछे कुछ हानियां है, जो इस प्रकार है:-

  • सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के मध्य दोषपूर्ण रिस्क शेयरिंग|
  • इसमें अयोग्य बिज़नेस मॉडल भी हो सकता है|
  • पीपीपी में वित्तीय अस्थिरता भी एक कारण है, जिसकी वजह से कई समस्याएं आती है|
  • निजी कंपनियां अनुबंध प्राप्त करने के पश्चात् अपने निवेश को बाहर निकालकर उसका उपयोग किसी अन्य कार्य को पूरा करने के लिए करने लगती है, जिससे कार्य बाधित हो जाता है|
  • पीपीपी प्रोजेक्ट के लिए पहले से कोई डेटाबेस उपलब्ध नहीं होता है|
  • निजी कंपनियां रियायत के एग्रीमेंट, फिजिबिलिटी रिपोर्ट, भूमि अधिग्रहण और विभिन्न मंजूरियों का डेटाबेस ऑनलाइन मांगती है|
  • पर्यावरण विभाग ने पीपीपी प्रोजेक्ट को अधिक महत्व नहीं दिया है|

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